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kitna kapda punarnveekaran hota hai hindi

 

कितना कपड़ा पुनर्नवीनीकरण किया जाता है? - एक विस्तृत विश्लेषण

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परिचय

कपड़ा उद्योग विश्व के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है, जो हर साल अरबों टन कपड़े का उत्पादन करता है। लेकिन इस उद्योग का एक काला पहलू यह है कि यह पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाता है। कपड़ा कचरा, जिसमें पुराने कपड़े, फटे हुए वस्त्र, बेकार हो चुके बिस्तर, और टेक्सटाइल उद्योग से निकलने वाले स्क्रैप शामिल हैं, एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या बन गया है। विश्व बैंक के अनुसार, वैश्विक स्तर पर हर साल लगभग 92 मिलियन टन कपड़ा कचरा उत्पन्न होता है, और इसका एक बड़ा हिस्सा लैंडफिल में चला जाता है। भारत में, कपड़ा कचरे की मात्रा प्रतिदिन हजारों टन तक पहुंचती है, और इसका अधिकांश हिस्सा अनियंत्रित रूप से निपटाया जाता है।

कपड़ा कचरे का पुनर्नवीनीकरण (Recycling) इस समस्या का एक प्रभावी समाधान हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि वास्तव में कितना कपड़ा पुनर्नवीनीकरण किया जाता है? क्या यह मात्रा पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए पर्याप्त है? इस ब्लॉग में हम इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे, साथ ही पुनर्नवीनीकरण की प्रक्रिया, इसके लाभ, और इस क्षेत्र में हो रही प्रगति पर भी प्रकाश डालेंगे।

कपड़ा कचरे की वर्तमान स्थिति

कपड़ा कचरे को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है: उपभोक्ता-पूर्व (Pre-Consumer) और उपभोक्ता-पश्चात (Post-Consumer) कचरा। उपभोक्ता-पूर्व कचरा वह होता है जो कपड़ा निर्माण की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होता है, जैसे कि कटिंग और सिलाई के दौरान बचे हुए टुकड़े। वहीं, उपभोक्ता-पश्चात कचरा उन कपड़ों से आता है जो उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग के बाद फेंक दिए जाते हैं।

वैश्विक स्तर पर, कपड़ा कचरे की मात्रा हर साल बढ़ रही है। इसका मुख्य कारण तेजी से बदलते फैशन ट्रेंड्स, सस्ते कपड़ों का उत्पादन (फास्ट फैशन), और उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग है। एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में हर सेकंड एक ट्रक भर कपड़ा कचरा लैंडफिल में डाला जाता है या जलाया जाता है। भारत में, यह समस्या और भी गंभीर है क्योंकि यहां कपड़ा उद्योग एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि है। भारत दुनिया का 8.5% कपड़ा कचरा उत्पन्न करता है, और इसमें से लगभग 10 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा पुराना या बेकार कपड़ा कचरे में फेंक दिया जाता है।

कपड़ा कचरे का पर्यावरणीय प्रभाव

कपड़ा कचरे का पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब कपड़े लैंडफिल में डाले जाते हैं, तो वे सड़ने में सैकड़ों साल ले सकते हैं। उदाहरण के लिए, सिंथेटिक कपड़े, जैसे कि पॉलिएस्टर, को बायोडिग्रेड होने में 50 से 200 साल तक लग सकते हैं। इस दौरान, ये कपड़े माइक्रोप्लास्टिक्स छोड़ते हैं, जो मिट्टी और जल को प्रदूषित करते हैं। इसके अलावा, कपड़ा कचरे को जलाने से जहरीली गैसें निकलती हैं, जो वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं।

कपड़ा उत्पादन में भी भारी मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग होता है। वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक सूती शर्ट बनाने में लगभग 2,700 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। जब ये शर्ट उपयोग के बाद कचरे में फेंक दी जाती है, तो यह पानी और अन्य संसाधनों की बर्बादी होती है। इसलिए, कपड़ा कचरे का पुनर्नवीनीकरण न केवल कचरे को कम करता है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी करता है।

कितना कपड़ा पुनर्नवीनीकरण किया जाता है?

अब हम मुख्य सवाल पर आते हैं: कितना कपड़ा वास्तव में पुनर्नवीनीकरण किया जाता है? दुर्भाग्य से, वैश्विक स्तर पर कपड़ा पुनर्नवीनीकरण की दर बहुत कम है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, विश्व भर में उत्पन्न होने वाले कपड़ा कचरे का केवल 12% से 15% ही पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। बाकी का अधिकांश हिस्सा या तो लैंडफिल में चला जाता है, जलाया जाता है, या फिर अनियंत्रित रूप से निपटाया जाता है।

वैश्विक आंकड़े

  • यूरोप और अमेरिका: यूरोपीय संघ में, कपड़ा कचरे का लगभग 25% पुनर्नवीनीकरण किया जाता है, जो वैश्विक औसत से बेहतर है। लेकिन फिर भी, यूरोप में उत्पन्न होने वाले कपड़ा कचरे का 60% से अधिक लैंडफिल में जाता है। अमेरिका में यह स्थिति और भी खराब है, जहां केवल 15% कपड़ा कचरा पुनर्नवीनीकरण होता है।
  • अफ्रीका और एशिया: ऑक्सफैम के अनुसार, विश्व स्तर पर दान किए गए 70% से अधिक पुराने कपड़े अफ्रीका में बेचे जाते हैं। हालांकि, इनमें से अधिकांश कपड़े पुनर्नवीनीकरण के बजाय सेकंड-हैंड मार्केट में चले जाते हैं, और अंततः कचरे के ढेर में पहुंच जाते हैं। एशिया में, खासकर भारत और बांग्लादेश जैसे देशों में, पुनर्नवीनीकरण की दर 10% से भी कम है।
  • सिंथेटिक कपड़े: सिंथेटिक कपड़े, जैसे कि पॉलिएस्टर, का पुनर्नवीनीकरण और भी कम होता है। वैश्विक स्तर पर, पॉलिएस्टर कपड़ों का केवल 1% ही पुनर्नवीनीकरण करके नए कपड़े में बदला जाता है।

भारत में पुनर्नवीनीकरण की स्थिति

भारत में कपड़ा पुनर्नवीनीकरण की स्थिति वैश्विक औसत से भी कम है। भारत में उत्पन्न होने वाले कपड़ा कचरे का केवल 5% से 8% ही पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि भारत में कपड़ा कचरे के संग्रहण और छंटाई की व्यवस्था बहुत सीमित है। इसके अलावा, पुनर्नवीनीकरण की उन्नत तकनीकों, जैसे कि केमिकल रीसाइक्लिंग, का उपयोग अभी प्रारंभिक चरण में है।

हालांकि, भारत में कुछ पारंपरिक और अनौपचारिक क्षेत्र हैं जो कपड़ा कचरे को पुनर्नवीनीकरण करने में योगदान देते हैं। उदाहरण के लिए, पुराने कपड़ों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर चटाई, रस्सी, या सफाई के कपड़े बनाए जाते हैं। लेकिन यह पुनर्नवीनीकरण बड़े पैमाने पर नहीं होता और इसकी गुणवत्ता भी सीमित होती है।

पुनर्नवीनीकरण की प्रक्रिया

कपड़ा पुनर्नवीनीकरण की प्रक्रिया को कई चरणों में बांटा जा सकता है, और यह कपड़े की सामग्री और स्थिति पर निर्भर करता है। निम्नलिखित कुछ मुख्य विधियां हैं:

1. पुन: उपयोग (Reuse)

पुन: उपयोग सबसे सरल और प्रभावी तरीका है, जिसमें कपड़ों को बिना किसी बदलाव के दोबारा उपयोग किया जाता है। इसमें दान करना, सेकंड-हैंड स्टोर्स में बेचना, या कपड़ा स्वैपिंग शामिल है। वैश्विक स्तर पर, पुन: उपयोग के माध्यम से कपड़ा कचरे का लगभग 10% प्रबंधन किया जाता है। भारत में, संगठन जैसे कि Goonj पुराने कपड़ों को जरूरतमंदों तक पहुंचाने का काम करते हैं।

2. अपसाइक्लिंग (Upcycling)

अपसाइक्लिंग में पुराने कपड़ों को रचनात्मक तरीके से नए उत्पादों में बदला जाता है। उदाहरण के लिए, पुरानी जींस से बैग बनाना या पुरानी साड़ियों से क्विल्ट बनाना। भारत में कई स्टार्टअप्स, जैसे कि Doodlage, इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। लेकिन अपसाइक्लिंग का योगदान कुल पुनर्नवीनीकरण में बहुत कम है, लगभग 2% से 3%।

3. मैकेनिकल रीसाइक्लिंग

मैकेनिकल रीसाइक्लिंग में कपड़ों को छोटे टुकड़ों में काटकर रेशों में तोड़ा जाता है, जिन्हें नए धागों और कपड़ों में बदला जाता है। यह प्रक्रिया वैश्विक स्तर पर कपड़ा पुनर्नवीनीकरण का सबसे आम तरीका है, लेकिन यह केवल 5% से 7% कपड़ा कचरे को ही कवर करती है। इसका कारण यह है कि मैकेनिकल रीसाइक्लिंग से बने कपड़े की गुणवत्ता मूल कपड़े से कम होती है।

4. केमिकल रीसाइक्लिंग

केमिकल रीसाइक्लिंग एक उन्नत तकनीक है, जिसमें कपड़ों को उनके मूल रासायनिक घटकों में तोड़ा जाता है, और फिर नए कपड़े बनाए जाते हैं। यह प्रक्रिया मिश्रित कपड़ों के लिए उपयुक्त है, लेकिन अभी यह बहुत महंगी और सीमित है। वैश्विक स्तर पर, केमिकल रीसाइक्लिंग के माध्यम से केवल 1% से कम कपड़ा पुनर्नवीनीकरण होता है।

पुनर्नवीनीकरण की चुनौतियां

कपड़ा पुनर्नवीनीकरण की दर इतनी कम होने के कई कारण हैं:

  1. संग्रहण और छंटाई की कमी: कपड़ा कचरे को एकत्र करना और उसे सामग्री के आधार पर छांटना एक जटिल प्रक्रिया है। भारत में, इस तरह की व्यवस्थित प्रणाली का अभाव है।
  2. मिश्रित कपड़े: आधुनिक कपड़े अक्सर मिश्रित सामग्री (जैसे पॉलिएस्टर और सूती) से बने होते हैं, जिन्हें अलग करना और पुनर्नवीनीकरण करना मुश्किल होता है।
  3. उपभोक्ता जागरूकता की कमी: कई लोग पुराने कपड़ों को फेंक देते हैं, बजाय उन्हें दान करने या पुनर्नवीनीकरण के लिए देने के।
  4. प्रौद्योगिकी की कमी: उन्नत पुनर्नवीनीकरण तकनीकों, जैसे कि केमिकल रीसाइक्लिंग, का उपयोग अभी बड़े पैमाने पर नहीं हो रहा है।
  5. आर्थिक व्यवहार्यता: पुनर्नवीनीकरण की प्रक्रिया महंगी हो सकती है, खासकर छोटे पैमाने के व्यवसायों के लिए।

भारत और विश्व में पुनर्नवीनीकरण को बढ़ावा देने के प्रयास

हाल के वर्षों में, कपड़ा पुनर्नवीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए गए हैं:

भारत में प्रयास

  • गैर-लाभकारी संगठन: भारत में Goonj और Karo Sambhav जैसे संगठन कपड़ा कचरे को एकत्र करने और पुन: उपयोग करने का काम कर रहे हैं। Goonj पुराने कपड़ों से सैनिटरी पैड्स और अन्य उपयोगी उत्पाद बनाता है।
  • स्टार्टअप्स: Doodlage और अपसाइक्ली जैसे स्टार्टअप्स पुराने कपड़ों से नए डिज़ाइनर उत्पाद बनाकर सस्टेनेबल फैशन को बढ़ावा दे रहे हैं। अपसाइक्ली की संस्थापक नम्रता रंगनाथन दर्जियों से बेकार कतरनों को इकट्ठा करके बैग और पिट्ठू बैग बनाती हैं।
  • सरकारी पहल: भारत सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत कचरे के प्रबंधन और पुनर्नवीनीकरण को प्रोत्साहन दिया है। टेक्सटाइल मंत्रालय भी सस्टेनेबल टेक्सटाइल प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है।

वैश्विक प्रयास

  • यूरोपीय संघ: यूरोपीय संघ ने 2030 तक कपड़ा कचरे के पुनर्नवीनीकरण को 50% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए कई नीतियां बनाई गई हैं, जैसे कि कपड़ा संग्रहण को अनिवार्य करना।
  • ब्रांड्स और कंपनियां: H&M और Zara जैसे बड़े फैशन ब्रांड्स ने पुनर्नवीनीकरण कपड़ों का उपयोग शुरू किया है। H&M का "Garment Collecting Program" पुराने कपड़ों को एकत्र करता है और उन्हें पुनर्नवीनीकरण के लिए भेजता है।
  • तकनीकी नवाचार: कई कंपनियां केमिकल रीसाइक्लिंग में निवेश कर रही हैं। उदाहरण के लिए, Renewcell नामक कंपनी कपड़ा कचरे को नए रेशों में बदलने की तकनीक विकसित कर रही है।

पुनर्नवीनीकरण के लाभ

कपड़ा पुनर्नवीनीकरण के कई लाभ हैं:

  1. पर्यावरण संरक्षण: पुनर्नवीनीकरण से लैंडफिल में जाने वाले कचरे की मात्रा कम होती है, जिससे मिट्टी और जल प्रदूषण घटता है।
  2. संसाधनों की बचत: नए कपड़े बनाने के लिए कच्चे माल, जैसे कि कपास और पेट्रोलियम, की मांग कम होती है। इससे पानी और ऊर्जा की भी बचत होती है।
  3. आर्थिक अवसर: पुनर्नवीनीकरण उद्योग रोजगार के अवसर पैदा करता है, खासकर छोटे स्तर के व्यवसायों और कारीगरों के लिए।
  4. सामाजिक जागरूकता: पुनर्नवीनीकरण के प्रति जागरूकता बढ़ने से उपभोक्ता सस्टेनेबल फैशन की ओर प्रेरित होते हैं।

भविष्य की संभावनाएं

कपड़ा पुनर्नवीनीकरण की दर को बढ़ाने के लिए भविष्य में कई कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. जागरूकता अभियान: उपभोक्ताओं को पुनर्नवीनीकरण और सस्टेनेबल फैशन के बारे में शिक्षित करना।
  2. प्रौद्योगिकी में निवेश: उन्नत पुनर्नवीनीकरण तकनीकों, जैसे कि केमिकल रीसाइक्लिंग, को बड़े पैमाने पर लागू करना।
  3. संग्रहण केंद्र: शहरों और गांवों में कपड़ा कचरे के लिए विशेष संग्रहण केंद्र स्थापित करना।
  4. नीतिगत समर्थन: सरकारों को पुनर्नवीनीकरण को अनिवार्य करने और इसके लिए प्रोत्साहन देने की नीतियां बनानी चाहिए।
  5. उद्योग सहयोग: फैशन ब्रांड्स, सरकार, और गैर-लाभकारी संगठनों को मिलकर काम करना चाहिए।

निष्कर्ष

वैश्विक स्तर पर, कपड़ा कचरे का केवल 12% से 15% ही पुनर्नवीनीकरण किया जाता है, और भारत में यह दर 5% से 8% के बीच है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि हमें इस क्षेत्र में अभी बहुत काम करने की जरूरत है। कपड़ा पुनर्नवीनीकरण न केवल पर्यावरण को बचाने का एक प्रभावी तरीका है, बल्कि यह आर्थिक और सामाजिक लाभ भी प्रदान करता है। भारत जैसे देश में, जहां कपड़ा उद्योग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, पुनर्नवीनीकरण को बढ़ावा देना समय की मांग है।

हर छोटा कदम मायने रखता है। चाहे वह पुराने कपड़ों को दान करना हो, अपसाइक्लिंग करना हो, या सस्टेनेबल फैशन को अपनाना हो, हम सभी अपने स्तर पर बदलाव ला सकते हैं। आइए, एक स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में मिलकर काम करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

  • विश्व स्तर पर कितना कपड़ा पुनर्नवीनीकरण किया जाता है?
    वैश्विक स्तर पर उत्पन्न होने वाले कपड़ा कचरे का केवल 12% से 15% ही पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। बाकी का अधिकांश हिस्सा लैंडफिल में चला जाता है या जलाया जाता है।
  • भारत में कपड़ा पुनर्नवीनीकरण की दर कितनी है?
    भारत में कपड़ा कचरे का केवल 5% से 8% ही पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। यह दर वैश्विक औसत से काफी कम है।
  • कपड़ा पुनर्नवीनीकरण की प्रक्रिया में कितने तरीके शामिल हैं?
    मुख्य तरीकों में पुन: उपयोग (Reuse), अपसाइक्लिंग, डाउनसाइक्लिंग, मैकेनिकल रीसाइक्लिंग, केमिकल रीसाइक्लिंग, और थर्मल रीसाइक्लिंग शामिल हैं।
  • सबसे ज्यादा पुनर्नवीनीकरण कौन-सा कपड़ा होता है?
    सूती कपड़े सबसे ज्यादा पुनर्नवीनीकरण किए जाते हैं, क्योंकि इन्हें मैकेनिकल रीसाइक्लिंग के माध्यम से आसानी से रेशों में बदला जा सकता है। हालांकि, सिंथेटिक कपड़ों का पुनर्नवीनीकरण केवल 1% है।
  • कपड़ा पुनर्नवीनीकरण की दर इतनी कम क्यों है?
    संग्रहण और छंटाई की कमी, मिश्रित कपड़ों की जटिलता, प्रौद्योगिकी की कमी, उपभोक्ता जागरूकता की कमी, और आर्थिक व्यवहार्यता जैसे कारणों से पुनर्नवीनीकरण की दर कम है।
  • भारत में कपड़ा पुनर्नवीनीकरण को कौन-से संगठन बढ़ावा दे रहे हैं?
    Goonj, Doodlage, Karo Sambhav, और अपसाइक्ली जैसे संगठन और स्टार्टअप्स भारत में कपड़ा पुनर्नवीनीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं।
  • क्या सभी कपड़े पुनर्नवीनीकरण के लिए उपयुक्त हैं?
    नहीं, मिश्रित कपड़े (जैसे पॉलिएस्टर और सूती मिश्रण) और बहुत खराब हो चुके कपड़े पुनर्नवीनीकरण के लिए चुनौतीपूर्ण होते हैं। लेकिन उन्नत तकनीकों से इन्हें भी पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है।
  • पुन: उपयोग (Reuse) और पुनर्नवीनीकरण में क्या अंतर है?
    पुन: उपयोग में कपड़ों को बिना बदलाव के दोबारा इस्तेमाल किया जाता है, जैसे दान करना। पुनर्नवीनीकरण में कपड़ों को तोड़कर नए उत्पाद बनाए जाते हैं, जैसे रेशों में बदलना।
  • केमिकल रीसाइक्लिंग से कितना कपड़ा पुनर्नवीनीकरण होता है?
    वैश्विक स्तर पर, केमिकल रीसाइक्लिंग के माध्यम से 1% से भी कम कपड़ा पुनर्नवीनीकरण होता है, क्योंकि यह तकनीक अभी महंगी और सीमित है।
  • कपड़ा पुनर्नवीनीकरण के पर्यावरणीय लाभ क्या हैं?
    यह लैंडफिल में कचरे को कम करता है, मिट्टी और जल प्रदूषण को रोकता है, प्राकृतिक संसाधनों (जैसे पानी और ऊर्जा) की बचत करता है, और कार्बन उत्सर्जन को घटाता है।
  • उपभोक्ता कपड़ा पुनर्नवीनीकरण में कैसे योगदान दे सकते हैं?
    उपभोक्ता पुराने कपड़ों को दान कर सकते हैं, सस्टेनेबल फैशन को अपना सकते हैं, सेकंड-हैंड कपड़े खरीद सकते हैं, और अपसाइक्लिंग प्रोजेक्ट्स में हिस्सा ले सकते हैं।
  • भविष्य में कपड़ा पुनर्नवीनीकरण की दर कैसे बढ़ाई जा सकती है?
    जागरूकता अभियान, प्रौद्योगिकी में निवेश, संग्रहण केंद्रों की स्थापना, नीतिगत समर्थन, और उद्योग सहयोग के माध्यम से पुनर्नवीनीकरण की दर बढ़ाई जा सकती है।
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